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Writer's pictureDinesh Rajput

मूल बंध कैसे करें लाभ सावधानियाँ

मूल बंध (Moola Bandha) योग का एक प्रमुख बंध है जिसका उद्देश्य मूलाधार चक्र (रूट चक्र) को सक्रिय करना और ऊर्जा को नियंत्रित करना है। "मूल" का अर्थ है "जड़" और "बंध" का अर्थ है "लॉक" या "बंधना।" मूल बंध के अभ्यास से ऊर्जा को नीचे से ऊपर की ओर प्रवाहित करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर में स्थिरता, संतुलन, और मानसिक शांति का अनुभव होता है। यह विशेष रूप से प्राणायाम, ध्यान और अन्य योग अभ्यासों में ऊर्जा को जागृत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।



मूल बंध (Moola Bandha)
मूल बंध (Moola Bandha)

मूल बंध कैसे करें


  1. आरंभिक स्थिति

    • सुखासन (क्रॉस-लेग्ड पोज़) या पद्मासन (लोटस पोज़) में आराम से बैठें।

    • रीढ़ को सीधा और आरामदायक स्थिति में रखें।


  2. साँस का नियंत्रण

    • धीरे से गहरी श्वास लें और फिर श्वास छोड़ें। श्वास पूरी तरह से छोड़ने के बाद साँस रोकें (बाह्य कुम्भक)।


  3. मूल बंध क्रिया

    • गुदा और मलाशय के निचले हिस्से की मांसपेशियों को अंदर की ओर खींचें और उन्हें ऊपर की ओर उठाएं। इसे ठीक उसी प्रकार करें जैसे मल को रोकते समय किया जाता है।

    • इस स्थिति को जितनी देर संभव हो, बनाए रखें। इसके बाद धीरे से मांसपेशियों को छोड़ दें और सामान्य श्वास लें।


  4. छोड़ना

    • मांसपेशियों को धीरे-धीरे छोड़ें और सामान्य रूप से श्वास लें।

    • इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहरा सकते हैं।


मूल बंध के लाभ


  • ऊर्जा का प्रवाह: यह बंध मूलाधार चक्र की ऊर्जा को सक्रिय करता है और ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी प्रवाह में ले जाने में सहायक होता है।

  • मूलाधार चक्र को संतुलित करता है: मूलाधार चक्र के जागरण से आत्मविश्वास, स्थिरता, और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।

  • प्राणायाम और ध्यान में सहायता: मूल बंध प्राणायाम की शक्ति को बढ़ाता है और ध्यान के दौरान मानसिक एकाग्रता में सहायता करता है।

  • मूलभूत अंगों को मजबूत करता है: यह श्रोणि, जननांग, और गुदा क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है।

  • पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है: मूल बंध का अभ्यास करने से पाचन तंत्र की सक्रियता बढ़ती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।


सावधानियाँ


  • शुरुआत में धीरे-धीरे करें: मूल बंध की क्रिया को शुरू में धीरे-धीरे करें और बाद में अभ्यास के साथ इसे अधिक समय तक कर सकते हैं।

  • गर्भवती महिलाएँ और कुछ स्वास्थ्य समस्याएँ: गर्भवती महिलाएँ या जिन्हें पेट में कोई गंभीर समस्या है, उन्हें मूल बंध से बचना चाहिए या विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

  • सावधानीपूर्वक ध्यान रखें: यदि आपको किसी प्रकार की असहजता महसूस हो, तो तुरंत मांसपेशियों को छोड़ दें और आराम करें।


मूल बंध एक शक्तिशाली योगिक क्रिया है जो शारीरिक और मानसिक स्थिरता प्रदान करने में सहायता करती है। इसका नियमित अभ्यास ऊर्जा को संतुलित करता है और शरीर और मन को एकाग्रता प्रदान करता है।




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