जल नेति क्रिया (Jal Neti) एक प्राचीन योगिक शुद्धिकरण तकनीक है, जो नाक और श्वसन तंत्र को साफ करने के लिए की जाती है। यह शुद्धिकरण की छह विधियों (षट्कर्म) में से एक है, जो हठ योग में वर्णित हैं। जल नेति का नियमित अभ्यास नासिका मार्ग को साफ करके श्वास संबंधी समस्याओं से राहत देता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
जल नेति क्रिया विधि
1. सामग्री
नेति पॉट: यह एक छोटा बर्तन होता है जिसमें लंबी टोंटी होती है। यह प्लास्टिक, धातु, या सिरेमिक का हो सकता है।
पानी: हल्का गुनगुना पानी, जो साफ और फ़िल्टर किया हुआ हो (उबला हुआ और ठंडा किया हुआ)।
नमक: आधा चम्मच (प्रति आधा लीटर पानी) गैर-आयोडीन युक्त नमक।
2. पानी का घोल तैयार करें
गुनगुने पानी में नमक मिलाएं और पूरी तरह से घुलने दें। पानी का तापमान न अधिक ठंडा हो और न ही अधिक गर्म, यह शरीर के तापमान के समान हो।
3. जल नेति करने की प्रक्रिया
मुद्रा और स्थिति: खड़े होकर हल्का आगे झुकें और सिर को एक तरफ झुका लें। ध्यान दें कि आपका सिर एक ओर झुका रहे, ताकि पानी नासिका मार्ग से होकर निकल सके।
नेति पॉट का प्रयोग: नेति पॉट की टोंटी को एक नासिका में धीरे से डालें और इसे इस प्रकार पकड़ें कि यह आपकी नाक को अच्छी तरह से सील कर सके।
पानी डालना: धीरे-धीरे नेति पॉट को उठाएं ताकि पानी आपकी नासिका से होकर दूसरी नासिका से बाहर निकल जाए। इस प्रक्रिया के दौरान मुँह से धीरे-धीरे सांस लें।
दूसरी नासिका: जब एक नासिका से पानी समाप्त हो जाए, तब दूसरी नासिका से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
4. नाक को सुखाना (कपालभाति करना)
नाक को साफ करने के बाद, सिर को आगे की ओर झुकाकर नाक से धीरे-धीरे श्वास बाहर निकालें ताकि बचा हुआ पानी बाहर निकल जाए। अधिक जोर से न फूंके, इससे कानों में दबाव उत्पन्न हो सकता है।
दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस लेकर और छोड़कर नाक को पूरी तरह सुखा लें।
लाभ
नाक और साइनस की सफाई: जल नेति नासिका मार्ग और साइनस की गंदगी, धूल, एलर्जी और बलगम को बाहर निकालता है, जिससे साइनस और नासिका संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
श्वसन तंत्र की सुरक्षा: यह श्वास मार्ग को साफ करता है, जिससे एलर्जी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और नासिका बंद होने जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
सर्दी और जुकाम से बचाव: नियमित जल नेति करने से सर्दी, जुकाम और गले की खराश जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
मानसिक स्पष्टता: जल नेति से मानसिक तनाव कम होता है और मन में शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: नासिका मार्ग साफ होने से सिरदर्द और माइग्रेन के दर्द में भी राहत मिलती है।
नेत्र स्वास्थ्य: जल नेति आंखों को शीतलता प्रदान करता है, जिससे नेत्रों की दृष्टि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सावधानियाँ
पानी उबला हुआ और गुनगुना हो, और साफ-सुथरा होना चाहिए।
जिन लोगों को कानों या नाक की समस्याएँ हैं, उन्हें जल नेति का अभ्यास करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
जल नेति करने के बाद नासिका मार्ग को अच्छी तरह से सुखाना बहुत आवश्यक है, ताकि नमी अंदर न रह जाए और संक्रमण का खतरा न हो।
जल नेति एक अत्यंत लाभकारी योगिक क्रिया है, जो नासिका मार्ग को शुद्ध करती है और श्वसन स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। इसे नियमित रूप से करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक शांति भी प्राप्त होती है।
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। धन्यवाद!
---
योग ऋषिका
Comments