कपालभाति एक प्राचीन योगिक श्वास-प्रश्वास की क्रिया है, जो मुख्य रूप से शरीर और मस्तिष्क को शुद्ध करने के लिए उपयोग की जाती है। यह श्वसन तंत्र को साफ करती है और षट्कर्म की प्रमुख क्रियाओं में से एक है, जो हठ योग में वर्णित हैं। कपालभाति का अर्थ होता है "कपाल" यानी "माथा" और "भाति" यानी "प्रकाशित" या "शुद्ध", अर्थात् यह क्रिया मस्तिष्क को शुद्ध और जाग्रत करती है, जिससे व्यक्ति के शरीर और मन में ऊर्जा का संचार होता है।
कपालभाति की विधि
स्थिति
एक आरामदायक आसन में बैठ जाएं, जैसे कि सुखासन या पद्मासन।
अपनी रीढ़ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें, ध्यान मुद्रा (ज्ञान मुद्रा) में।
श्वास की प्रक्रिया
धीरे-धीरे गहरी श्वास लें।
सक्रिय और बलपूर्वक श्वास छोड़ें: पेट को अंदर की ओर खींचते हुए नाक से तेज़ी से श्वास बाहर छोड़ें। इसमें पेट की मांसपेशियों का सक्रिय रूप से संकुचन होता है।
नियमित श्वास लेना: श्वास लेना स्वाभाविक और सहज होना चाहिए, इसमें कोई प्रयास न करें। श्वास छोड़ना मुख्य क्रिया है।
राउंड्स
शुरुआत में 20-30 बार श्वास छोड़े। इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 50-100 तक ले जा सकते हैं, लेकिन शुरुआत में धीरे-धीरे अभ्यास करें।
एक राउंड पूरा होने के बाद सामान्य श्वास लें और शरीर को आराम दें। 3-5 राउंड तक इसका अभ्यास किया जा सकता है।
लाभ
श्वसन तंत्र की शुद्धि: कपालभाति श्वसन तंत्र को साफ करता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
मस्तिष्क को शांति: यह मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और शांति प्रदान करता है।
पाचन में सुधार: पेट की मांसपेशियों के संकुचन से पाचन शक्ति में सुधार होता है।
वजन घटाने में सहायक: यह क्रिया पेट की चर्बी को कम करने में मदद करती है, जिससे वजन नियंत्रित होता है।
तनाव और चिंता से मुक्ति: कपालभाति मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
रक्त संचार में सुधार: यह शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे त्वचा और मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है।
सावधानियाँ
उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, या गर्भवती महिलाएं इस क्रिया को करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें।
अगर आपको पेट में अल्सर या आंतों की कोई समस्या है, तो कपालभाति करने से बचें।
शुरुआत में इस क्रिया को धीरे-धीरे और योग शिक्षक की निगरानी में करें।
कपालभाति का षट्कर्म में स्थान
हठ योग के षट्कर्म में कपालभाति एक प्रमुख क्रिया है, जो शरीर को भीतर से शुद्ध करती है। यह न केवल श्वसन तंत्र को साफ करता है, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान में भी सहायक होता है। कपालभाति से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संतुलन बनता है, जिससे व्यक्ति अधिक स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करता है।
कपालभाति नियमित रूप से करने से शरीर में विषैले पदार्थों का निष्कासन होता है और मन-मस्तिष्क को स्थिरता मिलती है।
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। धन्यवाद!
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योग ऋषिका
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