कुंजल क्रिया, जिसे गजकरणी क्रिया या वमन धौति भी कहा जाता है, एक योगिक शुद्धिकरण प्रक्रिया है और षट्कर्म के अंतर्गत आती है। षट्कर्म योग की छह शुद्धिकरण प्रक्रियाएँ हैं, जो शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए की जाती हैं। कुंजल क्रिया मुख्य रूप से पेट, गले, और श्वसन तंत्र की शुद्धि के लिए उपयोग की जाती है।
कुंजल क्रिया या गजकरणी क्रिया या वमन धौति, यह उपचारात्मक तकनीकें हैं जो प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धतियों से ली गई हैं। इन तकनीकों का एक मुख्य उद्देश्य शरीर की विषमता को संतुलित करना है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सके।
कुंजल क्रिया या गजकरणी क्रिया या वमन धौति क्रिया की विधि:
1. समय और स्थान का चयन:
यह क्रिया सुबह खाली पेट की जाती है।
शौचालय के पास या किसी खुले स्थान पर इस क्रिया को करना उचित होता है, जहां उल्टी करना आसान हो।
2. सामग्री:
1-1.5 लीटर हल्का गुनगुना पानी।
1 चम्मच नमक (प्रति लीटर पानी में)।
3. विधि:
सर्वप्रथम पानी तैयार करें: गुनगुने पानी में नमक मिलाएं और इसे एक बड़े बर्तन में डाल लें।
बैठक मुद्रा: सुखासन या खड़े होकर पानी पिएं।
नमकीन पानी पीना: धीरे-धीरे, बिना रुके अधिकतम 1-1.5 लीटर पानी पिएं। पानी थोड़ा अधिक मात्रा में होना चाहिए ताकि पेट पूरी तरह भर जाए।
वमन प्रक्रिया: जब पानी पेट में भर जाए, तब खड़े होकर थोड़ा झुक जाएं। फिर अपनी उंगलियां गले के भीतर डालकर उल्टी (वमन) को प्रेरित करें। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक कि सारा पानी पेट से बाहर न निकल जाए। पानी के साथ पेट की अशुद्धियाँ भी बाहर आ जाती हैं।
आराम: प्रक्रिया के बाद थोड़ी देर बैठें और आराम करें। हल्का भोजन या पेय पदार्थ तभी लें जब शरीर सामान्य स्थिति में आ जाए।
4. बाद की प्रक्रिया:
वमन के बाद 30-60 मिनट तक कुछ न खाएं, जिससे पेट को सामान्य होने का समय मिले।
इसके बाद हल्का भोजन, जैसे फलों का रस या सूप ले सकते हैं।
लाभ:
पेट की अशुद्धियों को निकालकर पाचन तंत्र को शुद्ध करता है।
एसिडिटी और गैस की समस्या से राहत मिलती है।
श्वसन तंत्र को साफ करता है और गले व छाती में जमे हुए बलगम को निकालने में मदद करता है।
तनाव, चिंता और मानसिक बेचैनी को कम करता है।
शरीर को हल्का और ताजगीपूर्ण महसूस कराता है।
सावधानियाँ:
इसे योग्य योग शिक्षक या चिकित्सा विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अल्सर, और गर्भावस्था के दौरान यह क्रिया न करें।
यह क्रिया नियमित रूप से (सप्ताह में एक या दो बार) की जा सकती है, लेकिन इसका अधिक अभ्यास न करें।
गजकरणी क्रिया/वमन धौति और षट्कर्म:
कुंजल क्रिया या गजकरणी, षट्कर्म की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। षट्कर्म में छह शुद्धिकरण प्रक्रियाएँ होती हैं:
नेति (नाक की सफाई)
धौति (आंतों की सफाई)
बस्ती (बड़ी आंत की सफाई)
नौली (आंतों की सफाई और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करना)
कपालभाति (श्वसन तंत्र की सफाई)
त्राटक (नेत्रों की शुद्धि)
गजकरणी क्रिया या वमन धौति दोनों तकनीकें अनुशासन और विशेष संयम का परिचय कराती हैं जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग्य बनाती हैं। इनका नियमित अभ्यास हमें शारीरिक संतुलन और समर्थन प्रदान कर सकता है।
इस पोस्ट में हमने गजकरणी क्रिया या वमन धौति की क्रिया की विधि और महत्व का उल्लेख किया है। अगर आप भी इन उपचारात्मक तकनीकों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो अपने स्वास्थ्य सलाहकार से संपर्क करें।
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। धन्यवाद!
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योग ऋषिका
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